फसल को बचाने के लिए 7 गांव के लोगों ने बदल दिया नदी का रुख , पढ़े किसानों के परिश्रम की कहानी
To save the crop, the people of 7 villages changed the direction of the river, read the story of the hard work of the farmers

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में किसानों के परिश्रम की अनोखी कहानी देखने को मिली है। दरअसल, कुछ किसानों ने अपने सुख रहे फसल को बचाने के लिए नदी का रुख ही बदल दिया। यह कारनामा छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का है ,जहां देवभोग में 7 गांव के 50 किसानों ने मिलकर नदी का रूट ही बदल दिया। उन्होंने टूटे स्ट्रक्चर को रेत की बोरियों से ढका और तीन दिन की कड़ी मेहनत के बाद 1000 एकड़ को सींचने लायक पानी पहुंचाया। इस समय किसानों को अपने खेतो में पानी की भारी जरूरत है। उन पर अब अल्प वर्षा का खतरा मंडराने लगा है। इसी को देखते हुए गरियाबंद के देवभोग में 7 गांव के 50 किसानों की मेहनत ने यह कारनामा किया।
बता दें कि खरीफ में सूखे से निपटने करोड़ों की लागत से बनी 24 सिंचाई योजनाएं किसानों तक लाभ नहीं पहुंचा पा रही है साथ ही इस इलाके में सिंचाई सुविधा देने तेल नदी जलप्लावन योजना बना हुआ है। 9 गांव के 600 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई के लिए 400 चेन यानी 12 किमी लंबी नहर भी बना हुआ है। लेकिन जलप्लावन के कुओं में तेल नदी का पानी नहीं आ रहा है। नहरों में भरे हुए रेत और जगह-जगह डेमेज हो चुके स्ट्रक्चर के कारण पानी अंतिम छोर तक भी नही पहुंच पा रहा था। ऐसे में दहीगांव, निष्टीगुड़ा, परेवापाली, सेनमुड़ा, सुपेबेडा, मोटरापारा के करीबन 50 किसानों ने तीन दिन पहले नहरों में पानी ले जाने का प्रण लिया।