Kukurdev Mandir: इस राज्य में भगवान शिव के साथ की जाती है कुत्ते की पूजा, वजह जान हो जायेंगे हैरान

Kukurdev Mandir : हमारे भारत देश में कई राज्य है इन राज्यों में अलग- अलग धर्म, जाति के लोग बसे हैं। इसी कारण यहां के लोगों की मान्यताएं भी काफी अनोखी और अलग है। अगर आपको कहां जाएं कि हमारे देश में एक ऐसा राज्य हैं जहां देवी – देवताओं की नहीं एक कुत्ते की पूजा होती है … तो आप जानकर हैरान हो जाएंगे। ये राज्य है मध्यप्रदेश से 2000 में अलग हुआ छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से लगभग 6 किलोमीटर दूर खपरी गांव में ये अनोखा मंदिर स्थित है। इस मंदिर कि अपनी अनोखी कहानी है। इस प्राचीन मंदिर को कुकुरदेव मंदिर से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते है इस मंदिर के कहानी और मान्यता के बारे में…

इस अनोखी मंदिर की मान्यता
Kukurdev Mandir : यह मंदिर 200 मीटर के दायरें में फैला हुआ है। कुकुरदेव मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी दर्शन करने आता हैं उसे कुकुर खांसी होने का डर नहीं रहता साथ ही कुत्ते काटने का डर भी नहीं रहता है। बता दें कि यहां कई राजनेता भी दर्शन करने के लिए आ चुके है। पिछले साल 19 सितंबर 2023 को बालोद जिले के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ के CM मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मंदिर के दर्शन करने गए थे। उन्होंने यहां प्रदेश के सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना किये।

मंदिर के पीछे की कहानी
Kukurdev Mandir : इस अनोखे मंदिर के पीछे की कहानी भी काफी अनोखी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को वफादार कुत्ते की याद में बनाया गया था। मान्यताओं के अनुसार कई हजार साल पहले एक बंजारा अपने परिवार और कुत्ते के साथ इस गांव में आया था। लेकिन अचानक गांव में अकाल पड़ गया जिस वजह से बंजारा ने अपने कुत्ते को साहूकार के पास गिरवी रखकर कर्ज ले लिया। लेकिन एक दिन साहूकार के यहां चोरी हो गई। चोरों ने सारा चोरी किया हुआ सामान जमीन में गाड़ दिया। लेकिन कुत्ते को उस लूटे हुए सामान के बारे में पता चल गया और वो साहूकार को वहां तक ले गया। साहूकार ने कुत्ते की बताई जगह पर गड्ढा खोदा तो उसे अपना सारा चोरी सामान मिल गया। इससे खुश होकर उसने कुत्ते के गले में पर्ची लगाकर उसे बंजारे मालिक के पास भेज दिया।

Kukurdev Mandir : कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा, उसे लगा कि वो साहूकार के पास से भागकर आया है। इसलिए उसने गुस्से में आकर कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला, लेकिक जब उसने पर्ची देखी तो उसे पछतावा हुआ। उसके बाद उसने उसी जगह कुत्ते को दफना दिया और उसके याद में वहां स्मारक बनवा दिया। बाद में नागवंशीय शासकों ने मरम्मत कर इसे मंदिर बना दिया। बता दें कि इस मंदिर के गर्भगृह में उसी कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है। इसके बराबर में एक शिवलिंग भी मौजूद है।