Govardhan Puja 2023: क्यों की जाती हैं गोवर्धन पर्वत की पूजा ? क्या हैं इसके पीछे मान्यता , यहां जानिए सबकुछ

Govardhan Puja 2023: भारत अनेक त्योहारों का देश है, जहां अनेक सम्प्रदाय के अलग अलग त्योहार मनाए जाते है। जिनमे दिवाली का महत्त्व सबसे ज्यादा है। यह वह त्यौहार है जिस दिन भगवान् श्रीराम लंकापति रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे और जिसकी ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी वजह से दिवाली को रौशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। यह त्यौहार अमुमन पांच दिन तक बड़ी धूम धाम से पूरे देश में मनाया जाता है इस त्यौहार की शुरुआत धनतेरस से होते हुए भाई दूज के दिन खत्म होती हैं। तो आज का ये वीडियो रौशनी डालेगा गोवर्धन पूजा की महत्वता पर आइये जानते है इसके पीछे की कहानी …….
इसलिए कि जाती हैं गोवर्धन पर्वत की पूजा

Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है यह त्यौहार मानव का प्रकृति के साथ सीधा रिश्ता बताता है। और इस दिन गोधन मतलब गौ माता की पूजा की जाती है। साथ ही इसकी कहानी सीधे भगवान् श्रीकृष्ण से जुडी है। कहानी है कि एक बार देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था और उनका अभिमान तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने एक लीला रची। इस लीला में एक दिन श्रीकृष्ण ने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे हैं । श्री कृष्ण ने माँ यशोदा से पुछा ” कि आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं” तो माँ यशोदाने जवाब दिया कि हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। माँ यसोदा के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? तो माँ यशोदा ने कहा क्युकी वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की उपज होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। जिसके उत्तर में भगवान श्री कृष्ण बोले ऐसे में हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते साथ ही पूजा न करने पर क्रोधित हो जाते हैं तो हमे ऐसे अहँकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
Govardhan Puja 2023: श्रीकृष्ण की यह बात मानकर सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे। तब श्रीकृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर पूरा सात दिन तक गोवर्घन पर्वत उठाए रखा और सभी बृजवासियों को अपने गाय और बछडे़ के साथ शरण दी । तब इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से अपनी भूल के लिए छमा मांगी और कहा कि प्रभु मैं अहँकारवश भूल कर बैठा हूँ । इसके बाद देवराज इन्द्र ने श्रीकृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। तभी से आज के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। साथ ही श्रीकृष्ण को छप्पन प्रकार के भोग लगाए जाते हैं।
गोवर्धन पर्वत पूजा कि सही तिथि और शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2023: इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसे में गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से 08:52 बजे के बीच है। ऐसे में गोवर्धन पूजा के लिए दो घंटे नौ मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। गोवर्धन पर घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है, इसकी शुरुआत स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी।
गोवर्धन पूजा विधि
- गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।
- फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
- इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
- भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
- इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।