Ganga : देव दिवाली का त्यौहार मानाने गंगा घाट पर उतरते हैं सारे देवी देवता , जानिए पूरी कहानी …

Ganga : गंगा जिसने सहेज रखे हैं अपने तटों पर कई ऐतिहासिक और आध्यात्मिक नगर , गंगा जिसके दर्पण में खुद को निहारने का मोह स्वयं सूर्य भी नहीं त्याग पाते , उसी गंगा के तट को आलोकित करती देवों के देव महादेव की नगरी काशी , महादेव के त्रिशूल पर वसी काशी , जहाँ मिलती है आकाल मृत्यु के भय से मुक्ति , और जहाँ मिलता है साक्षात् महादेव का आशीर्वाद।

Ganga : आज इस लेख से आपको उस त्यौहार के बारे में बताने जा रहे है , जिस त्यौहार को मानाने स्वं शिव संभु और सारे देवी देवता उतरते है बनारस के गंगा घाट पर तो चलिए गंगा मइया का नाम लेकर निकलते हैं , बनारस के पवित्र घाटों की यात्रा पर.. और इसके बारे में सब कुछ जानते है |

इसे भी पढ़िए – Cyber Fraud : रहें सावधान… त्यौहारी सीजन में बढ़ा साइबर क्राइम की घटना, यहां जानिए इससे बचाव के तरीके

देव दिवाली

Ganga : काशी कहो बनारस कहो , या कहो वाराणसी का गंगा घाट , कहलायेगा तो ये बाबा विश्वनाथ का दरबार ,शहर जहाँ तक़रीबन 33 कोटि देवी देवताओं का वास है , जहाँ का कोना – कोना एक अलग कहानी सुनाता है , और जहाँ का हर घाट एक अलग इतिहास दोहराता है | ऐसा ही एक इतिहास है , जिसे बनारस की घाटें और वहां के लोग कई सालो से दोहराते चले आ रहे हैं , जिसका नाम है देव दिवाली |

देव दीवाली का त्यौहार जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहा जाता है –

Ganga : हमारे देश के हर त्यौहार के पीछे एक मान्यता होती है , और उन मान्यताओ के पीछे कहानिया होती है | , कहानियां जो हमे बताती हैं हमारे इतिहास के पन्नो के बारे में , भारत के सबसे पुराने शहर बनारस में दीवाली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर देव दीवाली का त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता हैं , जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं |

इसे भी पढ़िए – Dudhadhari Temple Raipur : केवल दूध का सेवन करने के कारण पड़ा मंदिर का नाम दुधाधारी ,रायपुर की इस मंदिर की पूरी कहानी जानिए

त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस

Ganga : पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके अत्याचारों से हर कोई परेशान हो गया था, तब इसी दिन भगवान् शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया , और राक्षस से मुक्ति मिलने के बाद सभी देवी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे , जहाँ उन्होंने दीपक जलाकर ख़ुशी मनाई , मान्यता है की तब से लेकर आजतक इस दिन देवी देवता धरती पर उतारते हैं , और काशी में दिवाली मनाते हैं , और इसीलिए इस त्यौहार को देव दिवाली के नाम से जाना जाता है | इस दिन बनारस की घाटे सजधज के आयी एक दुल्हन की तरह नजर आती हैं , मानो गंगा के तट पर बसी घाटें अपने हाथों में लाखों दियें लिए देवी देवताओं के स्वागत करती हों |

गंगा आरती

वैसे तो बनारस की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है , लेकिन देव दिवाली के दिन गंगा आरती एक आनंदमय और सुखदायक द्रश्य का दर्शन कराती है , जो देश दुनिया के हर कोने से यात्रियों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है | घाटों के अलावा भी इस शहर में कई ऐसी जगहें है जो घूमने के लिहाज से काफी रोचक है जिसमें नया विश्वनाथ मंदिर भी शामिल है। इसकी खासियत यह है कि यह सात अलग-अलग मंदिरों से मिलकर बना है जोे एक बड़े परिसर का निर्माण करता हैं।अगर आप भी देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी के इस उत्सव में शामिल होना चाहते हैं, तो आप बस, ट्रेन या फ्लाइट सेवा के माध्यम से वाराणसी पहुंच सकते हैं।

Raveena Tandon: भक्ति के रंग में रंगी रवीना टंडन, ऋषिकेश में बेटी राशा और पुजारियों संग की गंगा आरती

Related Articles

Back to top button