Amarkantak : नर्मदा जो रहेगी सर्वदा, अमरकंटक सौदर्य का विवरण जानिए इसके बारे में सबकुछ…

Amarkantak : भारत में जब भी नदियों की बात आती है तो गंगा और यमुना के बाद नर्मदा का नाम सबसे ऊपर होता है.नर्मदा जो गंगा से भी पहले की नदी है , नर्मदा जिसका दूसरा नाम रेवा भी है , नर्मदा जो रहेगी सर्वदा।आज के इस लेख के द्वारा हम नदी के बारे में जो विश्व की एक जानेंगे मात्र ऐसी नदी है जिसकी धारा उलटी दिशा में बहती है, तो चलिए माँ नर्मदा का नाम लेकर निकलते है , अमरकंटक के कल्याणकारी सफर पर ,

Amarkantak : नदियों कि वजह से ही संस्कृति का जन्म होता है , सभ्यताए पनपती है , पनपती है हरी भरी जंगले , कहानियां बनती है , और ये नदियां ही हैं जो हमे धर्म और आस्था पर विश्वास दिलाती हैं। कल कल बहती नर्मदा जिसकी एक एक बूँद में बरसती हैं अमृत , जिसकी एक एक बूँद बरसाती है जिंदगियां , जी हाँ नर्मदा केवल एक पवित्र नदी ही नहीं ये पूरे मध्यप्रदेश और गुजरात की जीवनदायनी भी है |
अमरकंटक की पहाड़ी…
Amarkantak : समुद्र तल से करीब 1000 फीट की ऊंचाई पे विन्ध्यांचल पर्वत पर स्थित अमरकंटक पर बना ये कुंड नर्मदा नदी का उद्धगम स्थल है , 1312 किलोमीटर लम्बी इस विशाल नदी का जन्म इसी जगह से हुआ , अमरकंटक का मतलब है देवताओं का शरीर और नर्मदा का मतलब है जो कभी न मरे वो नर्मदा है , माना जाता है की अमरकण्टक की यात्रा से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है.

विंध्यांचल पर्वत माला को शिरोमणि भी कहा जाता है
Amarkantak : विंध्यांचल पर्वत माला के इस पर्वत को पर्वत श्रृंखला का शिरोमणि भी कहा जाता है। साथ ही अमरकण्टक विंध्याचल पर्वत का सबसे ऊँचा शिखर भी है ,
ऊंचाई के साथ साथ अपने गुणों के लिहाज से भी ये सिर्फ नर्मदा का उदगम स्थल ही नहीं बल्कि भारतीय दर्शन , आध्यात्म और संस्कृति का संगम भी है।
अमरकण्टक पाप मुक्ति का स्थान तो है ही लेकिन पर्यटकों की परीक्षा लेने के लिए यहाँ एक पत्थर का हांथी भी बना हैं , कहते है जिसके मन में पाप न हो वही इस हाथी के नीचे से गुजर सकता है
माई की बगिया…
Amarkantak : यहीं अमरकण्टक में मुख्य मन्दिर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है माई की बगिया , माई की बगिया जहाँ माँ नर्मदा का बचपन बीता , कहा जाता है की इस माई की बगिया में माँ नर्मदा का असली घर है , यहाँ श्रद्धालु नर्मदा के कन्यादान के लिए आते हैं। और इसी बगीचे में पाए जाते हैं तरह तरह की औषधियां , जिनमे से एक हैं गुलबकावली का पौधा, यह अमरकंटक की प्रसिद्ध जड़ीबूटी है, माना जाता है की गुलबकावली का अर्क अगर आँखों में डाला जाये तो अन्धा भी द्रिष्टी पा सकता है
नर्मदा जिन्हे सोनभद्र से प्रेम…
Amarkantak : नर्मदा जिन्हे सोनभद्र से प्रेम था , लेकिन नर्मदा की दासी जोहिला ने उन्हें धोखा देकर खुद सोनभद्र से विवाह कर लिया , इस बात से नर्मदा नाराज हुई और और गुस्से में आकर उलटे दिशा में बहने लगी , नर्मदा के जन्म के बहुत से अलग अलग वर्णन मिलते है, स्कंदपुराण के अनुसार नर्मदा को शिव की पुत्री कहा गया है , वो इसलिए क्योंकि नर्मदा शिव के पसीने से निकली है , जब शिव ने देवताओं से पूछा की नर्मदा का वेग कौन धारण करेगा तब विंध्यपुत्र मैकल ने नर्मदा का वेग धारण किया , और नर्मदा पृथ्वी पर अवतरित हुई , अमरकण्टक को इसलिए मैकल भी कहा जाता है, वहीँ महाकवि कालिदास ने यहाँ बहुत सारे आम के पेड़ होने की वजह से आम्रकूट कहा हैं |
कपिलधारा वॉटरफॉल
Amarkantak : जहाँ नदियां हैं वहीँ मान्यताये भी हैं , और इन्हीं मान्यताओ में से एक है परिक्रमा , भारत में नर्मदा एक मात्र ऐसी नदी है ,जिसकी परिक्रमा की जाती है, मतलब 1312 KM की नदी का एक चक्कर लगाना।उद्द्गम से 5 KM की दूरी पर कपिलधारा वॉटरफॉल है. कहते है महान ऋषि महर्षि कपिल के नाम पे इस जल जलप्रपात को जाना गया।
मंदिर का निर्माण गुण चना से…
Amarkantak : कपिल धारा के बाद अब हम आपको ले चलते है , जैन मंदिर की ओर जो उधगम से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पिछले 23 साल से बन रहा है। और इस मंदिर में भगवान श्री आदिनाथ जी की अष्टधातु से बनी 24 टन की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर की खास बात ये है की इस मंदिर का निर्माण गुण चना और राजस्थान से लाये गए पत्थरो से किया जा रहा है.
Amarkantak : अगर आप पहले अमरकण्टक नहीं आये हैं तो जरूर ये ट्रिप प्लान करे , अनूपपुर अमरकण्टक का नियरेस्ट रेलवे स्टेशन हैं , जिसकी दूरी 70 KM है अमरकण्टक के सबसे पास जो रेलवे स्टेशन है वह है पेंड्रा रेलवे स्टेशन जिसकी दूरी मात्र 40 KM है। आप यहाँ से बस भी ले सकते हैं। अमरकण्टक में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए गेस्टहाऊस रेस्टहाउस व धर्मशालाओं की उत्तम व्यवस्था है ,