Air Pollution: शारीर को ही नहीं … मानसिक स्वस्थ को भी प्रभावित कर सकता है एयर पॉल्यूशन, रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा

Air Pollution: भारत देश की राजधानी दिल्ली में 1 सप्ताह से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ते ही जा रहीं हैं। सोमवार यानि आज यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI ) 436 दर्ज किया गया जो कि मानव शरीर के लिए काफी खतरनाक हैं। इससे कई तरह की समस्या हो सकती हैं। वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) को सबसे ज्यादा फेफड़ों-श्वसन प्रभावित होता है। लेकिन हालिया अध्ययन में इसके कारण डायबिटीज की बढ़ती समस्याओं को लेकर भी अलर्ट किया गया है।

Air Pollution: स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ते प्रदूषण के दुष्प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं हैं, प्रदूषित हवा के संपर्क में रहना आपको मूड को भी गंभीर रूप से प्रभावित करने वाला हो सकता है। प्रदूषित हवा के संपर्क में रहना, मूड स्विंग, स्ट्रेस और चिड़चिड़ापन से लेकर डिप्रेशन की जटिलताओं को भी बढ़ाने वाला हो सकता है। आइए जानते हैं कि प्रदूषण का हमारे मूड पर किस प्रकार से नकारात्मक असर देखा जाता है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य पर असर
Air Pollution: अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण सेहत पर होने वाले दुष्प्रभावों को जानने के लिए किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। अध्ययनों में प्रदूषित हवा को स्ट्रेस-एंग्जाइटी को ट्रिगर करने के साथ डिमेंशिया-अल्जाइमर रोग और अवसाद के जोखिमों को भी बढ़ाने वाला पाया गया है। इसका असर ज्यादा और कम दोनों प्रकार के इसकेदुष्प्रभाव हो सकते हैं।
ट्रिगर हो सकती है स्ट्रेस और एंग्जाइटी
Air Pollution: प्रदूषित हवा में रहना कुछ समय के लिए आपमें स्ट्रेस और एंग्जाइटी की समस्या को बढ़ाने वाला हो सकता है। यदि आप पहले से ही इस तरह की समस्याओं के शिकार रहे हैं तो वायु प्रदूषण के संपर्क के कारण ये दिक्कतें ट्रिगर भी हो सकती हैं। अध्ययनकर्ता बताते हैं, जब हम लगातार प्रदूषक तत्वों और दूषित हवा के संपर्क में रहते हैं तो इस दौरान स्ट्रेस हार्मोन का रिलीज बढ़ने लगता है, जिसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मूड स्विंग से लेकर डिप्रेशन तक का खतरा
Air Pollution: रिपोर्ट में पाया गया कि वायु प्रदूषण से मूड स्विंग के साथ साथ और अवसाद ( Depression ) है के भी खतरे हो सकते हैं। प्रदूषकों के कारण मस्तिष्क की काम करने का ढंग भी प्रभावित हो सकती है, जो मूड और संज्ञानात्मक कार्यों में भी नकारात्मक बदलाव कर सकती है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना आपमें बार-बार मूड स्विंग का समस्या के साथ अवसाद के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है।

न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का भी खतरा
Air Pollution: प्रदूषण, विशेष रूप से सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) के संपर्क में आने से ज्यादा समय तक मनोभ्रंश और अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का जोखिम बढ़ जाता है। ये स्थिति डिमेंशिया के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली मानी जाती है। प्रदूषित हवा के संपर्क में रहना मस्तिष्क की समस्या को ट्रिगर करने वाला हो सकता है। वायु प्रदूषण से बचाव करते रहना सभी के लिए आवश्यक है।

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